उसे जगह को नरक कहते हैं
उसे जगह को नरक कहते हैं
जाना तो था उसे जगह,
पर कभी गया नहीं,
कहा ले जाने को,
पर कोई ले गया नहीं,
सब मेरी ले जाने की
बात को टाल ते रहे,
जाने की ज़िद में,
हद पार करता गया सभी।
था तो एक छोटा सा बच्चा,
जिज्ञासा काफी थी,
उसे गजह को "नर्क" कहते है,
पता नहीं उसमे ऐसी तो क्या बात थी।
जब भी उसके बारे में पूछता,
डांट दिया जाता,
स्वर्ग और नरक में ऐसा तो क्या अंतर है,
के सबको स्वर्ग ही नज़र आता।
सोचता था काफी पैसे
लगते होंगे वहाँ जाने में,
इसलिए कोई ले नहीं जाता,
थोड़ा वक़्त रुक जाता हूँ,
आज नहीं तो कल,
जाने का बंदोबस्त तो हो ही जाता।
कुछ वक़्त रुका,
काफी पैसे भी बचाय,
जाने का रास्ता न पता चला,
सरे पैसे यही उड़ाय।
एक रात सपने में एक जगह देखी,
डरावनी अंजानी सी,
लोग रो रहे थे,
चीख रहे थे,
पता नहीं ऐसा तो क्या था,
पर थी बड़ी अजीब सी हैरानी।
अगली सुबह सबको सपना बतया,
लोगों ने क्या यूँ फ़रमाया,
कहने लगे यहीं तो है नरक की दुनिया,
और उस शैतान ने तुझे वहाँ
आने का रास्ता है सुझाया।
पता नहीं लोगो ने यूँ क्यों कहा होगा,
शायद सबको स्वर्ग का ही पता होगा,
मेतो था छोटा सा बालक,
मुझे तो नरक जाना था,
शायद उनको ये बात सही लगी
जब लोग मुझे शैतान कहते थे,
शयद यही हुआ होगा,
शायद शैतान मुझमें बस चुका होगा।