बदलते हैं
बदलते हैं
कलयुग के इस संसार में पल-पल इंसान रूप बदलते हैं
समंदर रूपी जीवन में पल-पल हालात रुख़ बदलते हैं
स्वार्थ के बने आशियाने में पल-पल बदलते रिश्ते हैं
हीरे भी तभी चमकते हैं जब बार-बार उसे घिसते हैं
आधुनिकता के बाजार में पल-पल ख़रीददार बदलते हैं
कहानी में भी तभी मोड़ आता है जब किरदार बदलते हैं
वक़्त कहाँ रुकता है पल-पल करके साल भी बदलते हैं
ठहरा कौन है यहाँ चलने वाले हर चाल भी बदलते हैं।