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Husan Ara

Classics

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Husan Ara

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बड़ो का साया

बड़ो का साया

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तजुर्बा कमाया जो दुनिया का इतने सालों में,

नज़र आने लगता है इनके सफेद बालों में,

मेहनत मशक्कत की थी जो रातो उजालों में,

दिखने लगती है इनके झुर्रियों भरे गालों में

ऐसा साया जैसे होता बरगद पेड़ की छालों में

हार की डोर बने बैठे हैं मोती से घरवालों में।


जीवन यापन कर लिया इज़्ज़त के निवालों में,

कितनी बातें पी गए धैर्य प्रेम के प्यालों में,

सबकी चिंता ध्यान सभी का करते रोज़

ख्यालों में,

सबकी सेहत ,संज्ञान सभी का, पूछें रोज़ सवालों में,

ऐसा साया जैसे होता बरगद पेड़ की छालों में,

हार की डोर बने बैठे हैं मोती से घरवालों में।


साया इनका रहे यूंही बस आने वाले सालों में,

ये अनमोल प्रेम न होता गर तो होते हम कंगालो में,

ऐसा साया जैसे होता बरगद पेड़ की छालों में,

हार की डोर बने बैठे हैं मोती से घरवालों में।



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