बचपन की यादें
बचपन की यादें
नदी किनारे एक गाँव है मेरा
जहाँ छोटा सा एक घर है मेरा
वहाँ हुआ था जीवन का सवेरा
बीता जहाँ था बचपन मेरा
शहरी जीवन का मोहपाश
बेहतर आजीविका की तलाश
खींच लाया शहर की ओर
टूट गयी वह प्यार की ड़ोर
अब कई दशकों के बाद
खींच लायी मुझे घर की याद
लौट आया हूँ फिर एक बार
जिस सौंध से मुझे है प्यार
जहाँ ड़ाले बचपन की यादें ड़ेरा
स्वर्ग सम सुंदर है मेरा बसेरा
अब छोड़ इसे मैं न जाऊँ कहीं
मेरा सुख, मेरा मोक्ष है यहीं।
