तनहाईयाँ
तनहाईयाँ
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तन्हा सफर का मजा ही कुछ और है
जैसे कोई उड़ती पतंग, जो बेडोर है
ठानी है मैंने, तन्हाइयों का मजा लेने की
जिंदगी की राह पर, अकेले ही चलने की
देखें यह सफर कैसा कटता है
अपने साथ क्या सौगात लाता है
देखें जरा कलियां खुशियों की खिलती हैं
या गम की काली परछाइयां मिलती हैं
चाहे जो हो अंजाम, हमें सफर करना है
तन्हाइयों का हाथ थामें आगे बढ़ना है
मंजिल की परवाह हम करते नहीं
डगर से प्यार है हमे, हम डरते नहीं
बस कट जाए यूँ तन्हा अपनी जिंदगी
ना दिल लगाना है, ना करनी दिल्लगी
साथ हैं जब तनहाइयां तो डरना कैसा?
इस सफर का मजा तो है अलग सा।