बाज़ार
बाज़ार
मर्द यह जान गए हैं कि औरतों के बाज़ार जाने से उनका मूड ठीक रहता है....
और औरतें?
वह तो जैसे तैयार रहती है बाज़ार जाने के लिए....
बाज़ार में भला उनके लिए क्या नही है?
एक से बढ़कर एक चीजें.....
काजल...लिपस्टिक...
पावडर.....झुमके....
नथनी...पायल....
फूलों के ग़ज़रे...रंगबिरंगी लिबास....
और भी न जाने क्या क्या....
कभी लगता है बाज़ार औरतों के लिए ही बनाये गए है.....
औरतों को खरीदारी में मसरूफ़ रखने के लिए.....
उनका ध्यान भटकाने के लिए....
भोली भाली औरतें क्या जाने इन साज़िशों को.....
वह अपने परिवार को पूर्ण समर्पण से प्यार करती रहती है....
पूर्ण विश्वास से....
औरतों ने सुन रखा है कि शहर में कही हुस्न का बाज़ार लगता है.....
उन्हें उन रास्तों की तरफ न जाने की सख़्त हिदायत दी गयीं है....
बाज़ारू हुस्न के किस्से कहानियों को सुनना भी उन्हें मना होता है...
सही में यह बाज़ार ही है जो सब को सहूलियत देते है.....
औरतों को भी.....
और मर्दों को भी......
