बातें हैं यह उन बातों की
बातें हैं यह उन बातों की
बातें है ये किताबों की, या इनमें कुछ सच्चाई है,
शब्दों का भ्रमजाल है ये, या वास्तविकता की ही परछाई है,
शायद ख्वाबों का उद्गम है, या माया किसी की रचाई है,
अभिलाषा है यह मन की, या फिर, प्रीत कोई ये पराई है,
उत्तर को ईप्सित है जन, देखो, दौड़ सबने ही तो लगाई है,
विचारों के सैलाबों में, स्थिरता कहाँ किसी को रास आई है।।।
