शून्य के मधुर प्रभाव में हूं
शून्य के मधुर प्रभाव में हूं
किसी बहते पल के ठहराव में हूं,
या उस माया के विलगाँव में हूं,
जो अनन्त है उसके अनुभाव में हूं,
या उस असंख्य के बिखराव में हूं,
किसी अव्यक्त उत्कंठा के समभाव में हूं,
या उन विषयों के उद्भाव में हूं,
न शब्द में हूं, न भाव में हूं,
या शायद, बस उस शून्य के मधुर प्रभाव में हूं।।।
