STORYMIRROR

Alok MS

Others

4  

Alok MS

Others

यज्ञ और आहुतियाँ

यज्ञ और आहुतियाँ

1 min
10

यज्ञ था ये वर्षो का,

आहुतियाँ लाखों ने चढ़ाई है,

व्याकुलता थी ये वीरो की,

कर्मठता जिनकी यह रंग लाई है,

मेल हुआ जब, सन्त-सनातन-शासन का,

तब जाके यह सुबह यूँ आयी है,

पीड़ा थी जो पीढ़ियों की,

उससे मुक्ति की 'अब' घड़ी आई हैं।।।

पर बाकी है अभी मथूरा-काशी भी,

ये भी एक अटल सच्चाई है.........


Rate this content
Log in