ऐ दिल तू यूँ ही....
ऐ दिल तू यूँ ही....
ऐ दिल, तू फिर यूँ ही गुनगुना लिया कर,
हसरतों की आंधियों में भी, कभी तो मुस्कुरा लिया कर,
हाँ माना बड़ा मसरूफ है इन दिनों तू, पर
कभी इन मसरूफियत से, कुछ लम्हे जिंदगी के चुरा लिया कर।
ऐ दिल तू यूँ ही गुनगुना लिया कर..........
बेगानों की भीड़ में अपनो की तलाश न कर,
है कुछ लम्हे अगर, तो बेगानों के साथ भी बिता लिया कर,
बातों का भले तू साथ न ले,
पर जज्बातों को यूँ ही थोड़ा छलका लिया कर,
ऐ दिल तू यूँ ही गुनगुना लिया कर..........
