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Gulshan Sharma

Tragedy

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Gulshan Sharma

Tragedy

बाल विवाह

बाल विवाह

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सपनों के जब पर कुतर के नौकरानी लायी गयी,

12 वर्ष की आयु में जब एक कन्या भगाई गयी,


वो दो हाथ की लड़की 100 टन का शायद बोझ थी,

उतार कांधे से फेंका पिता ने चिंता जिसको रोज़ थी।


ना मां मिली, ना बाप था, ओझल सब सपने हुए,

पराये क्या अपने होते, जब अपने ना अपने हुए।


15 वर्ष की आयु में परम् सुख को पा गयी,

माँ बनी, ज़िन्दगी देती, पर लाश बनकर आगयी।


एक घर की नहीं, ये बात यार कई गांव की,

शान झूठी से कीमत जहां कम होती इंसान की।


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