बाल मन के बोल (बाल कविता)...
बाल मन के बोल (बाल कविता)...
आवाज कहां से आई
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मोटू राम का गड़बड़झाला
तोंद उठाकर चला है लाला
सूट बूट में दिखता अफसर
खुजा खुजा कर सोचे अक्सर
गांव से उसके जब ताई आई
बोला देख उन्हें......!
अरे ये आवाज कहां से आई।
मीठा लड्डू
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लड्डू खाता मोटा लाला
लड्डू का है स्वाद निराला
लड्डू से आता मुंह में पानी
खाया लड्डू याद आई नानी
गोल है मीठे स्वादिष्ट ये लड्डू
खाए मुन्नी खाए गुड्डू।
सच्चे गुरुजी
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गुरुजी हमारे अनमोल हैं
कहते सच्चे बोल हैं
खेल खेल में हमें पढ़ाते
ढेरो अच्छी बात बताते।
गुरु ज्ञान का है भंडार
गुरु के चरणों में संसार
सही गलत का जो भेद बताते
सच्चे गुरु सदा कहलाते।
प्यारे तारे
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चम चम चम चम चमके तारे
देखो लगते कितने प्यारे,
आसमान में इठलाते हैं
इधर उधर मंडराते हैं,
जब भी नींद उन्हें आती है
झट कंबल ओढ़ सो जाते हैं।
रंग बिरंगा छाता
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रंग बिरंगा मेरा छाता
बड़े काम ये आता है,
कड़ी धूप में मुझे बचाए
खुद बारिश में भीग जाता है।
कभी घूमता कभी नाचता
दादा की लाठी बन जाता है,
कुत्ते बंदर को मार भगाए
हर दम मुझे बचाता है,
रंग बिरंगा मेरा छाता
बड़े काम ये आता है।
जगमग दीवाली
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जगमग दिए दिवाली में
मन को मेरे भाते हैं
खील बताशे दही बड़े
सभी चाव से खाते हैं।
फुलझड़ी अनार पटाखे
हम मिलकर ही चलाते हैं
एक जगह इकट्ठा होकर
फिर हम धूम मचाते हैं।
सूरज दादा
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सुबह सवेरे मुर्गा बोला
कुकडु कु कुकडू कु,
हाथ में लोटा देकर मां बोली
झट उठकर मुंह धोले तू।
देखो सूरज किरण फैलाने
रोज सवेरे आता है
निंद्रा को तू दूर भगा अब
यही संदेश दे जाता है ।
नटखट पतंग
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देखो देखो आसमान में
एक पतंग लहराती है
कभी इधर से कभी उधर से
गोते खूब वो खाती है।
कभी हवा से बातें करती
गिरने का स्वांग रचाती है
छोटू जैसे ढील को खींचे
झट ऊपर उड़ जाती है।
चूहे बिल्ली की जंग
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चूहे सारे उधम मचाते
कुतर सभी वो जाते हैं
दबे पांव जब बिल्ली आती
झट बिल में घुस जाते हैं।
बिल्ली उन पर गुर्रा कर
फिर खूब डांट लगाती है
भाग भाग कर पीछे उनके
उनको नाच नाचती है।
सुंदर मोर
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रंग बिरंगी मोर वो देखो
मन को कितना भाता है
बाग बाग में उड़ता फिरता
बच्चों का मन हर्षाता है।
घुमड़ घुमड़ जब बादल बरसे
सुनकर मोर खुश हो जाता है
सुंदर पंख फैलाकर अपने
मनमोहक नृत्य दिखाता है।