आनंदम हो विकास का आधार.
आनंदम हो विकास का आधार.
बचपन की खिलखिलाहट में
छिपे हैं जीवन के अनगिनत सार,
जहां आनंदम होता बालमन में
वहीं खिलते हैं स्वस्थ विचार।
खेल-खेल में सीखे बच्चा
उनकी सीख सदा बनी रहती,
आनंदम की छांव में भोला मन
हर कठिनाई भी सह लेती।
जब मन हंसे तो बुद्धि खिले
विश्वास बने उनकी पहचान,
आनंदम दे रचनात्मक शक्ति
आसमां तक हो उनकी उड़ान।
सहयोग,संवेदना और करुणा
सब आनंदम से उपजते हैं,
खुश रहकर जो जीवन जिए
वे ही बच्चे आगे बढ़ते हैं।
आनंदम ही है सच्चा शिक्षक
जो बिन बोले सब सिखा देता,
दिनभर विद्यालय में खुश रहकर
वो अपनी झिझक को मिटा देता।
आओ बच्चों को दें नया जहां
सीखने के अवसर हो जहां अपार,
जहां मुस्कान हो शिक्षा की धुरी
आनंदम हो विकास का आधार।
