Akanksha Hatwal
Drama
निकलो न बाहर,
के बाहर निकलने से
फिर तुम्हें ही ग़म होगा।
सोच ले दुनिया को सितम देने में
पहला तेरा कदम होगा।
कुछ पल ठहर जा,
फिर शायद थोड़ा
बदला बदला आलम होगा।
तुझे कुछ न होगा,
तू महफूज़ है,
दूर ये तेरा हर भ्रम होगा।
बिक गया
अवाक
जायज़
दोगलापन
बाहर न निकले
नारी प्रेम की...
आखिरी अलविदा ...
उस रोज़ लगा जिंदगी थम सी गई, थोड़ा सा बिखरी फिर संभल गई।। उस रोज़ लगा जिंदगी थम सी गई, थोड़ा सा बिखरी फिर संभल गई।।
राज इसके गहरे बहुत ही अंदर। नीला अंबर, गहरा समंदर। राज इसके गहरे बहुत ही अंदर। नीला अंबर, गहरा समंदर।
खौफ नहीं दर्द का, रोए चेहरे का तुम्हें आंसू से लिपटे यादें हर पहर की रवानी है खौफ नहीं दर्द का, रोए चेहरे का तुम्हें आंसू से लिपटे यादें हर पहर की रवानी ह...
कुछ यूँ फिर आता है चाँद फलक पर, 'रवि' कहीं फिर छुपसा जाता है। कुछ यूँ फिर आता है चाँद फलक पर, 'रवि' कहीं फिर छुपसा जाता है।
इसी तरह दोनों एक दूसरे के क़रीब आ गये। इसी तरह दोनों एक दूसरे के क़रीब आ गये।
पर गौर खुद पर कर थोड़ा क्या तुम बोल पाओगे झूठ अपनेआपसे ? पर गौर खुद पर कर थोड़ा क्या तुम बोल पाओगे झूठ अपनेआपसे ?
परवाह दिखाने के बहाने से। बसने से पहले घर उजाड़ जाते हैं।। परवाह दिखाने के बहाने से। बसने से पहले घर उजाड़ जाते हैं।।
जीवन के दौर में ऐसा पल आया। जिसमें इंसान अपने अपनो से ही मिल ना पाया। जीवन के दौर में ऐसा पल आया। जिसमें इंसान अपने अपनो से ही मिल ना पाया।
प्रेम का साथ पाकर दुनिया रंगों सी सजती बिन प्रेम तो चारों तरफ नफरत ही बसती। प्रेम का साथ पाकर दुनिया रंगों सी सजती बिन प्रेम तो चारों तरफ नफरत ही बसती।
हाय रे मजबूर किस्मत आज फिर तूने उसकी तकदीर से वह सूखी ब्रैड हटा दी। हाय रे मजबूर किस्मत आज फिर तूने उसकी तकदीर से वह सूखी ब्रैड हटा दी।
ये अश्कों के मोती हैं यूँ ही बह जाने दीजिये। ये अश्कों के मोती हैं यूँ ही बह जाने दीजिये।
साथ में बैठकर भोजन ग्रहण करते, सुख-दुःख में सब साथ निभाते। साथ में बैठकर भोजन ग्रहण करते, सुख-दुःख में सब साथ निभाते।
समय पर ना उठ सकते हो ना कोई काम कर सकते हो.. समय पर ना उठ सकते हो ना कोई काम कर सकते हो..
खुश थे वो तुम्हें नौकरी दे गया पर मेरी तमाम खुशियों को परदेश ले गया। खुश थे वो तुम्हें नौकरी दे गया पर मेरी तमाम खुशियों को परदेश ले गया।
जैसे मंज़िल आगे बड़ जाए तो मज़ा बहुत आता है और सफ़र आसान होता है। जैसे मंज़िल आगे बड़ जाए तो मज़ा बहुत आता है और सफ़र आसान होता है।
नौकर मालकिन के परे उन दोनों के बीच रिश्ता दो औरतों का था। नौकर मालकिन के परे उन दोनों के बीच रिश्ता दो औरतों का था।
हँसी-खुशी ना बाँटे सिर्फ बाँटे यह दुख भी मैं और तुम नहीं होता इसमें होता है बस हम ही। हँसी-खुशी ना बाँटे सिर्फ बाँटे यह दुख भी मैं और तुम नहीं होता इसमें होता है ब...
करना आशिकी था जुर्म इतना घिनौना तो फिर क्यों मैं लेता जन्म। करना आशिकी था जुर्म इतना घिनौना तो फिर क्यों मैं लेता जन्म।
सोच रही थी ना कोई कम है ना ज्यादा वही सफल है जिसका इंसानियत से है नाता। सोच रही थी ना कोई कम है ना ज्यादा वही सफल है जिसका इंसानियत से है नाता।
हम शेर है, शेर की तरह ही जीने आये है। हम शेर है, शेर की तरह ही जीने आये है।