आखिरी अलविदा अतीत से
आखिरी अलविदा अतीत से
वो प्यार था
या प्यार जैसा तूफ़ान
जब सामने से गुजऱा
मैं बस देखती रही।
इतनी जल्दी
सब तबाह कर गया
कि जब आँख खुली तो
सामने सब कुछ
बिखरा पड़ा था।
मैं उठी मैंने खुदको देखा
पूरी टूट चुकी थी।
कुछ नहीं बचा था
बिखरी यादें
बिखरे जज्बात।
आँखोँ में आँसू
टूटा हुआ दिल
नहीं बची कोई आस।
समझ नहीं आ रहा था
पुरानी यादों को समेटूँ
या छोड़ के
नयी यादें बनाऊँ।
बैठ के रोऊँ
कि सब ख़त्म हो गया
या उठूँ और
जो कुछ बचा है उसे समेटूँ।
फिर मैंने सोचा
कुछ देर यहाँ रुकना
सही है पर यहीं रुके रहना
बहुत गलत।
एक आखिरी अलविदा
कुछ ऐसे लिया मैंने
अपने अतीत से।