बिक गया
बिक गया
शिकन की करवटों में रातों का ख़्वाब बिक गया
कोरी है आँखें, नमी का सैलाब बिक गया
के परिंदे ने उड़ना शुरू किया कि रात आ गई
ख़ाली पड़ा है आसमां आज महताब बिक गया
सवाल को ख़ामोश करता हर जवाब बिक गया
सवेरे के आते ही, हर नकाब बिक गया
बेस्वादी सी छाई है इस देह के बाज़ारों में
रूह को लुभाने वाला वो स्वाद बिक गया।