बादल आये
बादल आये
बादल आये बादल आये ढम-ढम ढोल बजाते।
नन्हे बालक भाग रहे खुश मस्ती में इतराते।
नहीं बाल्टी घड़ा पास में फिर भी कितना पानी।
फेंक रहे ऊपर से नीचे करते हैं शैतानी।
बूँदों की मालायें पहने फूल पात लहराते।
खिड़की खोले सूरज दादा देख रहे बादल को।
बारिश कर जो झम-झम झम-झम भिगो रहे हैं जग को।
नाव बनाकर निकले बच्चे झूम झूम मुस्काते।
पर फैलाये मोर नाचते मेंढक टर-टर बोले।
बहके चहके बचपन प्यारा शाख पकड़ कर झूले।
दादा दादी मम्मी पापा देख खूब हर्षाते।
