बाबा साहेब
बाबा साहेब
जिंदगी बाबा की,
सुनहरी किताब हैं,
जुल्मो सितम की सम्भाली,
कमान लाजवाब बहुत हैं।
वरक को सरकाने लगे हैं,
जल्लाद यहाँ के,
अत्याचार को खत्म करने की,
कोशिशें बेशुमार बहुत हैं ।
उधेड़ने में लगे हैं ज़िल्द यहाँ,
वतन के नासमझ रखवाले,
मनु को जिंदा दफनाने की,
जिद बेमिसाल बहुत हैं।
कांटो का ताज रखकर,
सिर पर चले थे बाबा,
कारवां ठहर गया अंधा मोड़,
आगे खतरनाक बहुत है।
निशाँ बनाकर रखो काम आयेंगे,
बेगुनाहों के नक्शे कदम,
आँसुओ से दामन भिगोना,
नालंदा दर्दनाक बहुत है।
