औरतों को छूने वाली प्रथाएं
औरतों को छूने वाली प्रथाएं
देवियों के नाम पर मुझे पूजा गया है
हर प्रथाओं को इतिहास में देखा गया है
भ्रुणहत्या का पाप या बेटी अभिशाप
मुझे मारने के लिए दूध में डुबोया गया है।
सब से बचकर भी मैं जन्मीं तो क्या
अब सिर्फ होती मेरे विवाह की तैयारी है
माँ बाप के लिए दहेज भी एक बीमारी है
घर गिरवी रखा और दुविधा भी टल गई
फिर मैं अपने ससुराल को चली गई।
हर महिने जब खून बहने लगता है तो
चौखट ना लांघना क्योंकि दामन अपवित्र है
घूंघट से बंधे रहना घनघोर बिमारियों में भी
मर्यादा के साथ बात करना ही मेरा चरित्र है।
संकटों के बादल तो अभी थमे ही नहीं थे
लोगों ने दहेज में कमी की रट लगायीं थीं
दरअसल मेरे ही घर की एक बहू थी जो
सोने और चांदी से लद कर आई थी।
अकस्मात की ही खबर थीं उन दिनों कि
मेरे पति का बिमारी से स्वर्गवास हुआ
अब तक की प्रथाएं कम थीं तभी तो
इस बार मुझे एक नई प्रथा ने छुआ।
ये सब कुछ चुपचाप सह रहीं थीं मैं
ना ही किसी से मैंने अपनी व्यथा बताई
जलाया लोगों ने पति की चिता पे मुझे
और वो प्रथा फिर सती प्रथा कहलाई।
वैसे कई प्रथाएं तो अब कम हो चुकी हैं
पर औरतें अपने आप से ही खेल रहीं हैं
पहले प्रथाओं के अड़चनें होतीं थीं पर
अब बदलते मुसीबतों को झेल रही है।
