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Padma Motwani

Classics

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Padma Motwani

Classics

औरत

औरत

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औरत अकेली नहीं

उसकी शक्ति उसके साथ है।

गली के जिस मोड़ पर पाया उसे

अपनों का इंतज़ार उसके साथ है।

ठोकर खाकर गिरी जहां पर

उसका बुलंद हौसला उसके साथ है।

जब थकी हारी पड़ती बिस्तर पर

थकावट नहीं संतुष्टि का भाव उसके साथ है।

रंगबिरंगी दुनिया की कशमकश में

सुनहरे सप्तरंगी सपने उसके साथ हैं।

घन्यवाद करती ईश्वर से खुशी खुशी

नाज़ है उसे कि स्त्रीत्व उसके साथ है।

औरत अकेली नहीं

उसकी शक्ति उसके साथ है।


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