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Vishu Tiwari

Classics

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Vishu Tiwari

Classics

आजादी

आजादी

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बहुत बहाए  हैं रक्त अपने, लड़ी लड़ाई भी खूब हमने।

लगे हैं कोड़े, चढ़े हैं फांसी, सही कई यातनाऍं  हमने।

न जाने कितनी बलि। चढ़ाई, हमारे वीरों ने हंसते-हंसते।

मिली आजादी हमें जहां में, बहुत दिए हैं कुर्बानी हमने।।


धरा को देखो कहीं मिलेगा, भगत की खोई हुई जवानी।

सुनो हवा भी सुनाती रहती, बलिदानियों की अमर कहानी।

जलाई क्रांति की ज्योति दिल में, बना जो मंगल यहां तुफ़ानी।

कहीं बहाई है रक्त -धारा, लिखी गई कई अमर कहानी ।।


नहीं भरे हैं वो ज़ख्म अबतक, हुआ था खण्डित हमारा भारत। 

सता रहा है वो दर्द अबतक, सहा विभाजन का दंश भारत।

थे खेल  खेले दरिन्दगी के, वीभत्स आज़ादी का वो मंज़र।

कहीं सिंसकता हुआ मिलेगा, छुपाए ज़ख्मों को प्यारा भारत।।


आजाद भारत में मांगते हैं, आज़ादी कुछ सिरफिरे यहां पर।

कहीं जलाते हैं देश अपना, विरोधी शक्ति को देश ला कर।

ये कैसी आज़ादी मांगते अब, विलासिता के बनके पुजारी।

लगाते नारे ये राष्ट्र द्रोही, वो त्याग स्वारथ में सब भुलाकर।।


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