आजादी की रात
आजादी की रात
वो रात कितनी हसीन थी
आंखों में किसी के ना नींद थी
दासता से मुक्ति मिल रही थी
"आजादी" खुले में सांस ले रही थी
"तिरंगा" कर रहा था आसमान से बात
दीवाली सी लग रही थी वह रात
आनंद की बारिश हो रही थी
"भारत माता" खुशी के मारे रो रही थी
जन जन की कुरबानी रंग लाई थी
देश के सौभाग्य ने ली अंगड़ाई थी
वर्षों की गुलामी आखिरी सांस ले रही थी
आजादी की स्वच्छ हवा फेफड़ों में भर रही थी
बापू का सत्याग्रह सफल हो गया
गोरों का षड्यंत्र निष्फल हो गया
एक नया भारत बनने को था
एक सपना हकीक़त में उतरने को था।