औरत हूँ मैं
औरत हूँ मैं
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चुप रहूँ सहूँ मैं
बोलूं तो बदतमीज हूं मैं
औरत हूं मैं।
घूंघट करूं मैं, सिर झुकाऊँ मैं
देखे कोई और तो ,बदचलन हूँ मैं
औरत हूँ मैं ।
पराये घर की मैं, पराये घर से हूँ मैं
घर से.....बेघर हूँ मैं
औरत हूँ मैं।
पढ़ी- लिखी मैं ,समझदार मैं
पेशे से .....गृहिणी हूँ मैं
औरत हूँ मैं।
बेटी मैं,प त्नी मैं
बात हक की तो,
सिर्फ एक औरत हूँ मैं
औरत हूँ मैं। ।