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पराये घर की मैं, पराये घर से हूँ मैं घर से.....बेघर हूँ मैं पराये घर की मैं, पराये घर से हूँ मैं घर से.....बेघर हूँ मैं
सब से मिलकर रहे तो चालाक मिलकर ना रहे तो घमंडी। सब से मिलकर रहे तो चालाक मिलकर ना रहे तो घमंडी।
आज इसी बारिश में कीटाणुु देखना सीख गए। आज इसी बारिश में कीटाणुु देखना सीख गए।
आपकी कृपा से नहीं हुआ अभिमान।। आपने मुझ मूर्ख को इतना बनाया योग्य। आपकी कृपा से नहीं हुआ अभिमान।। आपने मुझ मूर्ख को इतना बनाया योग्य।
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।। हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से।।