औधोगिक करन में दुनिया
औधोगिक करन में दुनिया
जिसके सहारे चलती थी जिंदगी हमारी
वह कितना पीछे हो चुकी है
औधोगिक करन की दुनिया में
कैसे कैसे खो चुके है।।
व्यक्ति व्यक्ति विद्युत का
मानो ऐसे हो चुका है
लालटेन डिबीयां मोमबत्ती को
धर-धर से खो चुका है।।
पुल पुलिया दीवारों में
मस्त मगन हो चुका है
कुआँ घड़ा मिट्टी धर को
नज़रों से खो चुका है।।
मानो इधर से उधर
बोर्डर क्रोस कर गया
इसीलिए शायद
दुनिया बीमारी में खो गया है।।
आज घर घर का कार्य
मशीनों से हो गया है
गायब लोढ़ी सिल्ला
कहां हो गया है।।
बूढ़ी दादी दादा भी
वृद्ध आश्रम आ गया है
मोडर्न मम्मी पापा
देखो कितना हो गया है।।
औधोगिक करन में दुनिया
कितनी खो गयी है
औधोगिक करन में दुनिया
कितनी खो गयी है।।