अस्तित्व खतरे में है
अस्तित्व खतरे में है
छेड़ो न इस क़द्र मुझे
रुष्ठ हो जाऊँगी मैं,
जिंदगी देती हूँ अगर तो
सांसें लेना भी आता है मुझे।
छेड़ो न....।
तुम मुझें चोट
निरन्तर देते ही जा रहे हो,
मेरी ही ओट से
मुझे सताते जा रहे हो,
मगर मेरी परछाइयों की आँच
सहन नहीं होगी तुझे
छेड़ो न ......।
तूने अभी बाढ़ देखी है
आग की बारिश नहीं,
तूने नदिया देखी हैं
बर्फ़ का सैलाब नहीं,
मुझे आग मत दिखाओ
जला कर राख कर दूँगी तुझे,
छेड़ो न.....।
सब कुछ दिया है मैंने तुझे
तेरी सांसें मेरी ही देन हैं,
मुझें यूँ न काटो स्वार्थ में अपने
वरना पश्चाताप का
मौका नहीं दूँगी तुझे,
छेड़ो न......।
प्रकृति हूँ मैं
मुझें प्रकृति ही रहने दो,
मेरे अस्तित्व से खेलो मत
बहुत महंगा पड़ेगा
मेरी जड़ो को काटना तुझे,
छेड़ो न......।
एक क़दम मेरे लिये
बढ़ाओ तो सही,
मेरा सब कुछ
समर्पित है तुझे,
बस छेड़ो न....।
