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Yaswant Singh Bisht

Drama Tragedy

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Yaswant Singh Bisht

Drama Tragedy

असमंजस

असमंजस

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एक दिन सहसा,

इस बोझिल,

जिंदगी से ऊबकर,

न जाने उसके,

मन मे क्या खटका।


असमंजस में,

वह कूद गया,

गाँव किनारे कुएँ में।


नहीं,

अरे नहीं!

वह बच गया,

कुआँ सुखा था।


और शायद,

पहली बार सुना,

कोई बच गया,

सूखा पड़ने से ?


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