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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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असली दौलत।

असली दौलत।

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पहुँच न सकता तेरे दर्शन को, फिर भी तुमने उपकार है किया।

मैं अज्ञानी संसार में डूबा, उसको ही सब कुछ समझ लिया।।


 देख संसार के अद्भुत नजारे, मोह- माया ने जकड़ लिया।

 क्या कुछ इसने नहीं है करवाया, पर तुमने ही संभाल लिया।।


 व्यर्थ बिताया अमूल्य जीवन, कभी भी तुमको न याद है किया। 

कालचक्र की बेबस घड़ियों ने, तुम्हारे पास बुला ही लिया।।


आभार व्यक्त करता अपनों का, जिन्होंने मुझे दुत्कार दिया।

 पीड़ा हृदय की किसे बतलाता, पीर-ओ-मुरशिद ने मुझको साध लिया।। 


पता चला तब जीने का मकसद, पथभ्रष्ट होने से बचा ही लिया।

" नीरज" पा ले अब "असली दौलत"," गुरु" ने तुझको मौका है दिया।।


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