अश्क
अश्क
अश्क आंखों में जमकर रह गए हैं।
कुछ यादों के किस्से पुराने थम गए हैं।
अश्क आंखों में जमकर रह गए हैं।
जिंदगी जब सोच में बैठती हैं।
कितनी बातों के अफसाने तन के रह गए हैं।
अश्क आंखों में जमकर रह गए हैं।
याद रहता नहीं हैं ,यह जानता हूँ।
फिर क्यों उन बातों को मैं भूलता ही नहीं हूँ।
वो बातें वो यादें जिनसे,
कभी अश्कों से भीग जाता था।
आज सोच के सफर में थम से गये हैं।
सोचता हूँ......???
आकर आंखों में ,क्यों जम से गये हैं।