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Rahul Paswan

Tragedy

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Rahul Paswan

Tragedy

""मैं एक मजदूर हूं "" (लॉकडाउन के दौरान)

""मैं एक मजदूर हूं "" (लॉकडाउन के दौरान)

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लोग कैद है घर में

पर मैं घर से कोसों दूर हूं,

स्पेशल हवाई उड़ान भरी गई 

अमीरों के लिए

पर मैं मीलों पैदल चलने के लिए मजबूर हूं

हां मैं एक मज़दूर हूं ।

नए-नए पकवाने डाले जा रहे हैं इंस्टाग्राम पर

मैं दूसरो के दान पर

जीने के लिए मशहूर हूं,

हां मैं वही लाचार मजदूर हूं।

शहरों की बुनियादी ईंटों में छुपी मेरी पहचान

अपने कबीले को छोड़,

शहरों में बसते ही, खो देता हूं सम्मान,

गरीब हूं इसलिए घर से दूर हूं

लोग कहते हैं मैं मजबूर हूं,

हां मैं एक मजदूर।

कभी ट्रेन से कट रहा हूं 

कभी कोरोना से मर रहा हूं 

सरकार को दिखता नहीं

किस हाल में जी रहा हूं

शायद मै भगवान से इतना नतिदुर हूं।

हां साहब मैं मजुदर हूं 

हां मैं मजदूर हूं।।।।।


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