हम बच्चे ही ठीक थे
हम बच्चे ही ठीक थे
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जीवन के संगीत में
हम बेसुर होकर बैठे हैं
वक्त की मार से
बेसूध होकर रहते हैं
एक पल ऐसा भी था
जवानी से अनजान थे
बेमतलब से रहते थे और इरादे भी नेक थे
हम बच्चे ही सही थे और
वो बचपन के ही दिन ठीक थे।।
बचपन में हमें ना कुछ पाने की चिंता
ना कुछ खोने का गम।
सरारत भारी थी मुझमें
सराफत थोड़ा कम था।
छोटी छोटी गलतियों पर
मां की चप्पलें उड़ते थे
हम बच्चे ही सही थे
और वो बचपन के दिन ही ठीक थे।
