यह दुनिया एक बाज़ार है
हर कोई यहाँ सौदागर है
क्या कुछ बिकता नही यहाँ
हर चीज क़ीमत वसूलती है
क्या हवा, क्या पानी
क्या जमीं, क्या रोशनी
तपती मिट्टी भी खरीद लेती है
बारिश की गिरती बूंदों को
रात में अँधेरे से सौदा कर
सूरज खरीदता है धूप यहाँ
और धूप का सौदा कर
चाँद खरीदती है रात यहाँ
हुस्न के बाज़ारों में
सिर्फ तन ही नही
जमीर भी बिकता है
ईमान और सस्ता है यहाँ
दो ग़ज़ जमीं के बदले
साँसों का सौदा करता है
मिट्टी में मिल जाने के लिए
कफ़न का सौदा करता है