Amarjeet Kumar
Drama
हे माँ मातृभूमि अर्पण,
क्या बरबस तुझको करू अर्पण।
दे दूँ तन या मन व संपूर्ण जीवन
देना चाहता हू कुछ अद्वितीय अन्य,
जिससे हो जाऊँ मैं धन्य।
स्वप्न मेरे माँ करना सम्पन्न,
रक्षा व सुरक्षा करूं
तेरी ताकत देना संपूर्ण।
हे माँ मातृभूमि नमन।
नववर्ष
मित्रत्व एक ...
नारी
मृगनयनी
स्त्री का प...
अपना नसीब
धारा 370 इक ...
अर्पण
शायद माँ अपने अकेलेपन को पहचान गयी है..... कभी वह दीवार की जैसे एक खूँटी बन जाती है.. शायद माँ अपने अकेलेपन को पहचान गयी है..... कभी वह दीवार की जैसे एक खूँटी बन जा...
मेरे दिल का हर जख्म खत्म, आसमानों में बारिशों का दौर खत्म। मेरे दिल का हर जख्म खत्म, आसमानों में बारिशों का दौर खत्म।
यह कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का उसी की ज़रूरत है, और उसी की कमी है। यह कैसा मोड़ है ज़िन्दगी का उसी की ज़रूरत है, और उसी की कमी है।
हमें बिन कोई तरस बड़े सरस से होली है, रंग बरसे, रंग बरसे हमें बिन कोई तरस बड़े सरस से होली है, रंग बरसे, रंग बरसे
उसके और भी दीवाने थे शहर में मेरे सिवाय...! उसके और भी दीवाने थे शहर में मेरे सिवाय...!
रंग से लिपे पुते हम भी कभी इस महफ़िल की रौनक थे। रंग से लिपे पुते हम भी कभी इस महफ़िल की रौनक थे।
एक बरस के बाद आज फिर, फिर से होली आयी है। फिर से होली आयी है। एक बरस के बाद आज फिर, फिर से होली आयी है। फिर से होली आयी है।
कुछ ज्यादा ही मांग लिया होगा शायद जो तेरी परछाई भी नहीं है अब साथ। कुछ ज्यादा ही मांग लिया होगा शायद जो तेरी परछाई भी नहीं है अब साथ।
सिर्फ निगाहें देख कर इश्क़ की गहराई नाप ले। सिर्फ निगाहें देख कर इश्क़ की गहराई नाप ले।
डूब तो तू भी रही है इस समंदर में, बस तुझे मालूम नहीं है। डूब तो तू भी रही है इस समंदर में, बस तुझे मालूम नहीं है।
अब अपना रास्ता मंज़िल तक पहुंचाऊँ कैसे अब अपना रास्ता मंज़िल तक पहुंचाऊँ कैसे
जो किसी छत की मोहताज नहीं, खुले आसमान वाली हो, जो किसी छत की मोहताज नहीं, खुले आसमान वाली हो,
क्या हैं अब बदलना इस उम्र में रह तू मुझसे और मैं तुझसे खफ़ा। क्या हैं अब बदलना इस उम्र में रह तू मुझसे और मैं तुझसे खफ़ा।
मनाने की बात आई तो मुस्करा दिये मिला कुछ भी नहीं । मनाने की बात आई तो मुस्करा दिये मिला कुछ भी नहीं ।
एक ख़तरनाक संकेत है क्योंकि तूफान से पहले आसमां भी, शांत रहता है एक ख़तरनाक संकेत है क्योंकि तूफान से पहले आसमां भी, शांत रहता है
आँचल में है मोह का सागर, दामन में है संसार आँचल में है मोह का सागर, दामन में है संसार
बात क्या छिपी है इस दिल में कोई बिना कहे ये कैसे जान ले बात क्या छिपी है इस दिल में कोई बिना कहे ये कैसे जान ले
सारे परिंदे रिहा कर दिए उसने घर आकर। खंजर की क्या मजाल, कि एक ज़ख्म कर सके, सारे परिंदे रिहा कर दिए उसने घर आकर। खंजर की क्या मजाल, कि एक ज़ख्म कर सके,
कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ
तुम्हें बहुत कुछ बताना है तुम्हें फिर से जानना है तुम्हें बहुत कुछ बताना है तुम्हें फिर से जानना है