अरबी का पानी
अरबी का पानी
प्रिये,
तुम नक्षत्रों से चमकती हो,
मैं अदना सा टिमटिमाता हुआ तारा हूँ।
तुम बवंड़र सी चलती आँधी हो,
मैं पूरवाई की मंद बहती हवा हूँ।
तुम कोहरे से लिपटी हुई सुबह हो,
मैं दूब पर रहती की ओस की बूँद हूँ।
तुम शंख में रहने वाला मोती हो,
मैं अरबी के पत्तों का चमकता पानी हूँ।
