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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Tragedy

अपनो की गद्दारी

अपनो की गद्दारी

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मुझे अपनों की खुमारी ने मारा है

मुझे अपनो की गद्दारी ने मारा है

मैंने उनपर भरोसा किया, 

उन्होंने मुझे धोखा दिया

मुझे अपनों की मक्कारी ने मारा है

जिस थाली में खाया, 

उसी में छेद किया

मुझे अपनों की बीमारी ने मारा है

खुद के लहू से भी नफरत हो गई है,

मुझे अपनो की बेलदारी ने मारा है

दिल का साज़ आज टूट गया है,

मुझे अपनो की चिंगारी ने मारा है

अब न करना है,भरोसा किसी पर

करना है भरोसा केवल ख़ुद पर

मुझे स्वयं की दिलदारी ने मारा है।



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