अपनी भाषा
अपनी भाषा
अपनी प्यारी मातृभाषा हिन्दी ,
जो लिखते हैं, सो ही पढ़ते हैं,
अंग्रेज़ी में लिखो कुछ, पढ़ो कुछ,
कुछ अक्षर उच्चरित ही नहीं होते।
अंग्रेजी का शब्द है मैन( Man),
इसको मन पढ़ें या मैन या मान पढ़ें,
रोमन लिपि में अर्थ का अनर्थ,
शब्दों का उच्चारण एक सा नहीं।
वैज्ञानिक लिपि है देवनागरी,
संस्कृत जननी है हिन्दी की,
कम्प्यूटर के लिये सही भाषा है,
बड़ा समृद्ध साहित्य है इसका।
उपेक्षिता रही हिन्दी बरसों से,
ग़ुलामी की भाषा समझी गई,
रानी से दासी बन गई अंग्रेज़ी की
अंग्रेज़ी का वर्चस्व हो गया।
राज भाषा बनकर भी गौरव नहीं,
राष्ट्र भाषा पद पर आसीन नहीं,
काम काज चलते अंग्रेज़ी में
शिक्षा का माध्यम अंग्रेज़ी में।
हिन्दी को उसका मान दिलाना है,
कामकाज की, रोजगार की भाषा बने,
उच्च अध्ययन की भाषा हिन्दी बने
प्राथमिक शिक्षा की भाषा हिन्दी बने।
निज भाषा ही है उन्नति की मूल,
सब मौलिक विचार उसी से आते,
हिन्दी की महिमा है सबसे न्यारी
देश को एकता में जोड़ने वाली।
हिन्दी को उसका पद दिलवाना,
मान सम्मान सदा उसका बढ़वाना,
साधन सम्पन्न बने देश की भाषा
सबकी प्यारी जन जन की भाषा।