कृपा प्रभु की
कृपा प्रभु की
जीवन में जो भी प्राप्त है
सब प्रभु की कृपा है,
प्रभु चरणों में प्रीत बढ़े
संत वचनों में विश्वास बढ़े।
प्रभु कथा में अनुराग बढ़े
जैसे भी हो सब प्रभु पर छोड़ें,
प्रभु सब संभाल लेते हैं
जीव की अपनी सामर्थ्य नहीं है।
अच्छे हो या बुरे हो
सज्जन हो या दुर्जन हो,
पापी हो या पुण्यात्मा हो
बस प्रभु के बनकर रहो।
अपनी दुर्बलता का विचार करोगे
तो भीतर हीन भाव आएगा,
अपने गुणों का बखान करोगे
तो अहम् भाव आ जाएगा।
गोविंद की कृपा के बल पर
काम क्रोध से मुक्त हो सकते हो ,
विषय वासना से मुक्त हो सकते हो
माया पर विजय प्राप्त कर सकते हो ।