अपने हैं सब
अपने हैं सब
दुनिया में इस कदर छाया है मातम
हर गली सन्नाटा और गम का आलम
आंसू तेरी पोछूं, या मेरे अश्क दिखाऊँ
आंसू तेरी पोछूं, या मेरे अश्क दिखाऊँ
ज्वाला न बुझ रही श्मशान की अब तक
करुण क्रंदन असहाय अपनों का कब तक
आंसू तेरी पोछूं या तुझे ठाठस दे जाऊँ
आंसू तेरी पोछूं, या मेरे अश्क दिखाऊँ
मौत और श्मशान में दलाल जी रहे हैं
गरीब अमीर आंसू में मलाल पी रहे हैं
मंजर जमाने का देखूँ या तुझे दिखाऊँ
आंसू तेरी पोछूं, या मेरे अश्क दिखाऊँ
नहीं ये अखाड़ा ये आपदा की घड़ी है
मासूम रो रही है माँ की लाश पड़ी है
समंदर दुखों का देखूँ या तुझे दिखाऊँ
आंसू तेरी पोछूं, या मेरे अश्क दिखाऊँ
आ चिताओं में अब रोटी ना सेंक तू
अमर नहीं कोई, मानवता को देख तू
अपने अपनों को मैं ये राग सुनाऊँ
आंसू तेरी पोछूं, या मेरे अश्क दिखाऊँ