अनकही बात
अनकही बात
आज कुछ कहने को जी चाहता है
जो तुमनें सुनी नहीं वह बताने को जी चाहता है
दिल में बहुत कुछ है बताने को
हर बात बताना चाहता है
सुनकर खफ़ा मत होना
तुम्हें मैरी मुहब्बत की कसम
दिल के जज़्बात बताना चाहता है
सुनकर चलीं जाओगी दूर मगर
जो छुपा के रखा है वह सब बताने को जी चाहता है
जो अनकही बात दरम्यान है अपनी
वह सब कुछ सुनाना चाहता है।