अनकहे रिश्ते अनमोल
अनकहे रिश्ते अनमोल
प्रेम के आंगन में कुछ अनकहे,
अनजाने रिश्ते खिल जाते हैं
आकर खुशी के दामन में ये
और निखर जाते हैं।
मन बावरा होकर
थिरक थिरक जब जाता है
नयनों में भी प्रेम उमड़ घुमड़ जाता है
कभी-कभी कुछ अनकहे रिश्ते
दिल पर छा जाते हैं।
हर सुख और दु:ख बेहिचक
साझा उनसे कर पाते हैं
दिल में बसकर वो हमारी
आदत सी बन जाते हैं।
यही सोचती हूं कैसे
अनकहे रिश्ते हमसे जुड़ जाते हैं
बिन देखे बिन जाने भी
छाप अमिट छोड़ जाते हैं
हां, कुछ अनकहे रिश्ते
अपने से बन जाते हैं।

