अनकहा प्यार
अनकहा प्यार
तुम पूछती थी ना ,
तुम पर कविता क्यों नहीं लिखता
तो सुनो!
उसने अपने दोस्त पर कविता लिखी
जिसे उसने खो दिया,
उसने अपने घर पर कविता लिखी
जहां रहना परिस्थिति को मंजूर नहीं,
उसने गरीबी पर कविता लिखी
जो कभी खत्म ना हुई,
उसने उस मंजिल पर कविता लिखी
जो अभी मिली नहीं।
उसने हर उस चीज पे कविता लिखी
जो उसके करीब थी
जिसे उसने खो दिया
वो शायद तुम्हें खोने का डर था
जो इस कलम को रोकती रही,
आधे रास्ते से जो हमेशा लौटती रही।
अब शायद तुम समझ गई ना,
तुम पर कोई कविता क्यों नहीं लिखी गई।