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Priyanshu Kumar

Others

5.0  

Priyanshu Kumar

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बेचैनी

बेचैनी

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हुआ मन बेचैन थे हजारों सवाल,  

आखिर क्यों जो थे कभी अपने 

उनके मन में आये ऐसे कटु विचार


था कोई द्वेष या कोई परेशानी

बोली होती तुमने, नहीं होती मित्रता की हानि

अब तो खो दिया तुमने अपनों का साथ

जो थे तुम्हारे दिल के पास


होता संयम अगर वाणी पर

नहीं होती मित्रता की हानि बेगानी बातों पर,

बातें बोली तुमने ऐसी, ह्दय नहीं मन विचलित हुआ

क्या तुम ही थे वो व्यक्ति जिससे मिलने को

कभी मैं लालायित था? 



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