STORYMIRROR

Priyanshu Kumar

Classics

3  

Priyanshu Kumar

Classics

तिरंगा

तिरंगा

1 min
383

आज सारा देश रो रहा है

अपने निगहबानों को खो रहा है


पलकों में सपने जो संजो रहा था

आज करोड़ों सपनों में जी रहा है।


सड़क पर बिखरा हर शरीर का टुकड़ा

आज बना एकता का मुखड़ा


जन मानस भी आज खौल रहा है

निकाल सड़कों पर आज बेबाक बोल रहा है


कि रखना तुम इस तिरंगे का मान 

भय से मचे दुश्मनों में त्राहिमाम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics