तिरंगा
तिरंगा
आज सारा देश रो रहा है
अपने निगहबानों को खो रहा है
पलकों में सपने जो संजो रहा था
आज करोड़ों सपनों में जी रहा है।
सड़क पर बिखरा हर शरीर का टुकड़ा
आज बना एकता का मुखड़ा
जन मानस भी आज खौल रहा है
निकाल सड़कों पर आज बेबाक बोल रहा है
कि रखना तुम इस तिरंगे का मान
भय से मचे दुश्मनों में त्राहिमाम।
