अनजाना
अनजाना
तुम अजनबी हो
फिर भी अपने से लगते हो,
आकर्षण नाम का तुम्हारा
परिचय तक ले गया।
कोश हमने पलट डाले
नाम का अर्थ पाने को,
चुम्बकीय मंडल तुम्हारा
कुछ कर गुजरने की तमन्ना,
एक अलग सा
आभास देता,
ज़िन्दगी को नया
आयाम देता,
नाम का अर्थ जो पाया
तो लक्ष्मी कान्त ही पाया,
सभी शब्दों में
तुम ही समाये हो,
सब तुम्हारा ही
पसारा है।
