अंजान को अंजान रहने दे
अंजान को अंजान रहने दे
अंजान को अंजान ही रहने दे
खुद से थोड़ा बेईमान ही रहने दे।
यूँ जंजीरों मे न जकड़ मुझको
जिंदगी को मेरी इम्तिहान ही रहने दे।
सवाल खुद के खुद से बोहत है
जबाव मत दे थोड़ा परेशान ही रहने दे।
आवारा परिंदा हूँ मै तो बांध मत मुझको
जमीं को जमीं और आसमां को आसमां रहने दे।
हर चीज मुकम्मल हो जाए ऐसा होता है कहाँ
इसलिए घर को घर मत बना मकां ही रहने दे।
सदियाँ बीत गई इन रास्तों पर चलते चलते
तेरे होने के एहसास का ही गुमान रहने दे।
बातें तो कहने को बहुत सी है लेकिन
हमें इक दूसरे का मेहमान ही रहने दे।