STORYMIRROR

Rajit ram Ranjan

Romance

4  

Rajit ram Ranjan

Romance

अजनबी सी चाहत

अजनबी सी चाहत

1 min
381

हवा ज़ब तेरी जुल्फ को 

छूके गुजरती है 

अजनबी सी चाहत

दिल में ही मचलती है। 


कल वो फिर से

मिल जाये एक बार

तो मैं कह दूं कि,


अपनी जुल्फें 

बांधकर चला करो

वरना हजारों

क़त्ल का इल्जाम 

तुम्हारे सर होगा। 


मगर ज़ब वो सामने आती हैं,

शर्माकर नजरें झुका लेती हैं 

मैं सहम सा जाता हूँ,

औऱ कुछ ना कह पाता हूँ। 


मेरी दिल्लगी को वो

कमजोरी समझ जाती है 

खुद तो सो जाती है शाम को ही

मुझे पूरी रात नींद नहीं आती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance