अजीब हाल है
अजीब हाल है
कैसी अजीब विडंबना
कैसा अजीब यह हाल है.....
रिश्तो को निभाने में
ना बचती दमड़ी और
ना ही बचती खाल है....
जिंदा रहते करते नफरत
पास रहकर भी जीना मुहाल है....
मरने के बाद दुनिया को दिखाते हैं
देखो हमारा इस इंसान के
जाने से कैसा बुरा हाल है......
जिंदा इंसान को कदर ना दे पाते
मरे हुए इंसान के लिए
लाखों रुपए के बन रहे पकवान
देख भगवान तेरे इंसान का कैसा हाल है....