अजब है रिवाज
अजब है रिवाज
अजब सी दुनिया के अजब हैं रिवाज़
खुशियों में भी मोल तोल होता है जनाब।
बुआ को नेग न मिला तो वो नाराज़
फूफ़ा की गुस्से से बुलंद हुई आवाज़।
लड़की की ससुराल का विकट ही है हाल
करते करते माँ बाप हो जाते हैं कंगाल।
त्योहार का बायना कभी बच्चे का जन्म
रिश्तों की मिठास हो जाती है खत्म।
दुनिया के दिखावे में उधारी चढ़ जाती है
बेटी जब डोली पे चढ़ के चली जाती है।
जो जितना देता है उतना सम्मान पता है
डायरियों में लेन देन का हिसाब रखा जाता है।
जहाँ से जितना आया उतना ही वहाँ जाता है
एक एक रिश्ते का हिसाब रखा जाता है।
