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sandeeep kajale

Romance

3  

sandeeep kajale

Romance

ऐ इश्क़ कही ले चल

ऐ इश्क़ कही ले चल

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मन का परिंदा पिंजड़ा तोड़ के उड़ा

एक दिल दूसरे दिल से जुड़ा

तू शाम बनकेअब मुझे में ढल

ऐ इश्क़ कही ले चल


कैसे ये अनजान जुदाई

फिर दुःख की घटा छाई

किया तूने क्यों ऐसा छल

ऐ इश्क़ कही ले चल


बढ़ती रिश्तोंकी ये उलझन

ना मिलती कोई सुलझन

तेरे विरहन में रही हूँ जल

ऐ इश्क़ कही ले चल


इस दिल को कैसे समझाऊ

दर्द की लौ कैसे बुझाऊ

मेरी ज़िन्दगी तू यु ना बदल

ऐ इश्क़ कही ले चल


कैसी ये अनजान तन्हाई

फिर दुःख की घटा छाई

किया तूने ऐसा मुझसे चल

ऐ इश्क़ कही ले चल



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