ऐ चांद
ऐ चांद


ऐ चांद,
आज तनिक ठहर जाओ,
अमृत कला से सजी है धरा,
अभी तो आरंभ हुआ है ,
नयनो का मौन मिलन,
छू लेने दो चंचल ,
कोमल चितवन मन,
दूर शिखर पर ,
वो खड़ी है छवि,
अभी तो लहरो पर
नाच रही शीतल छवि,
नयनो में समा लेने दो,
यह सुनहरे पल,
ऐ चांद,
आज तनिक रूक जाओ!